इमामे जमाअत क़वानीन के दायरे मे इमाम है|
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नमाज़ की अस्ल यह है कि उसको जमाअत के साथ पढ़ा जाये। और जब इंसान नमाज़े जमाअत मे होता है तो वह एक इंसान की हैसियत से इंसानो के ...
नमाज़ की अस्ल यह है कि उसको जमाअत के साथ पढ़ा जाये। और जब इंसान नमाज़े जमाअत मे होता है तो वह एक इंसान की हैसियत से इंसानो के ...
हमें ज़िन्दगी कैसे गुज़ारनी है यह नमाज़ के दो जुम्लों से तय होती है। पहला ग़ैरिल मग़ज़ूबि अलैहिम वलज़्ज़ालीन (न उनका जिनपर ग़ज़ब (प्...
पैग़ाम ए इमाम हुसैन अ स अपने अज़ादारो के नाम ।।।।। मेरा पैग़ाम ज़माने को सुनाने वालो ।। मेरे ज़ख्मो को कलेजे से लगाने वालो ।। मेर...
प्राक्कथन औरत का समाज में स्थान एंव महत्व के विषय पर बहुत से लेख लिखे जा चुके हैं। आज के इस नवीन युग में पूरे संसार में सत्री जाति...
हर सच्चे मुसलमान की ख्वाहिश हुआ करती है की उसे अल्लाह के नेक बन्दों की जियारत करने का मौक़ा मिले और इसी को अल्लाह से मुहब्बत कहा जाता है ...