नहजुल बलाग़ा और अम्र बिल मारूफ और नही अनिलमुन्कर|
हम अम्र बिलमारूफ अर्थात अच्छाई का आदेश देना नमाज़, रोज़ा, हज, और जेहाद की भांति अम्र बिलमारूफ को भी धार्मिक आदेशों में समझा जात...
हम अम्र बिलमारूफ अर्थात अच्छाई का आदेश देना नमाज़, रोज़ा, हज, और जेहाद की भांति अम्र बिलमारूफ को भी धार्मिक आदेशों में समझा जात...
ख़ुदा की इबादत की क़िस्में इमाम अली अलैहिस सलाम नहजुल बलाग़ा में इबादत और उपासना करने वालों के तीन प्रकार बयान फ़रमाते हैं: इन्...
मुआविया बिन वहब कहते हैं: मैं मदीना में हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम के साथ था, आप अपनी सवारी पर सवार थे, अचानक सवारी से उत...
इमाम अली (अ) की श्रेष्ठता शहीद मुतह्हरी की निगाह में अली (अ) तारीख़ की वह बे मिसाल ज़ात है जिसने सदियों से साहिबाने फ़िक्र को अप...
इस्लाम ने जिन समाजी और सोशली अधिकारों की ताकीद की है और मुसलमानों को उनकी पाबंदी का हुक्म दिया है उनमें से एक यह है कि वह अपने घर परिव...
हसद का मतलब होता है किसी दूसरे इंसान में पाई जाने वाली अच्छाई और उसे हासिल नेमतों के ख़त्म हो जाने की इच्छा रखना। हासिद इंसान यह नहीं ...
ईश्वरीय दूतों का इस लिए पापों से दूर रहना आवश्यक है क्योंकि यदि वे लोगों को पापों से दूर रहने की सिफारिश करेगें किंतु स्वंय पाप करेंगे ...
हर सच्चे मुसलमान की ख्वाहिश हुआ करती है की उसे अल्लाह के नेक बन्दों की जियारत करने का मौक़ा मिले और इसी को अल्लाह से मुहब्बत कहा जाता है ...