मैं बंदा खुदा का और अली का गुलाम हूँ |



मैं क़ाएल ऐ खुदा औ इमाम हूँ

बंदा खुदा का और अली का गुलाम हूँ |
हज़रत अली अस का मशहूर कथन है की मुसलमान तुम्हारा धर्म से भाई है और गैर मुसलमान तुम्हारा इंसानियत के रिश्ते से भाई है |

आज सभी मुसलमानो के लिए दुःख का दिन है क्यों की आज के ही दिन हज़रत मुहम्मद के दामाद और उनके उनके वसी ,इमाम हुसैन अस के पिता और मुसलमानों के खलीफा हज़रत अली ( अस ) पे दुष्ट इब्ने मुल्जिम ने ज़हर से बुझी तलवार से उनपे वार किया और उन्हें इतना ज़ख़्मी क्र दिया की तीन दिन के बाद २१ रमजान को वे दुनिया से रुखसत हो गए | 19 रमज़ान को हजरत अली जब सुबह की नमाज़ पढ़ा रहे थे तो लानती इब्ने मुल्जिम ने पीछे से उनपे वार करके उन्हें ज़ख़्मी किया | इस दुःख की घड़ी में सभी शांतिप्रिय मुसलमान उनकी बातों को उनकी हिदायतों और क़ुर्बानियों को याद करते हैं और दुःख में सभाएं करते और जुलुस निकलते हैं | इस वर्ष लॉक डाउन के कारन शांतिप्रिय मुसलमानो ने यह दुःख घरों में बैठ के मनाया और दुखी रहे अफ़्सोसो रहा कीहम उस तरह से यह ग़म न मना सके जैसे मनाना चाहिए था | हज़रत अली अलैहिस्सलाम अपने जीवन के अन्तिम क्षणों तक इस्लामी शिक्षाओं के द्वारा इंसानियत और भाईचारे का पैगाम लोगों तक पहुंचाते रहे । अपने जीवन के अन्तिम महत्वपूर्ण क्षणों में उन्होंने जो वसीयत की है वह आने वाली पीढ़ियों के लिए पाठ है जिससे लाभ उठाना चाहिए हजरत अली अलैहिस्सलाम की वसीयत की कुछ अहम् बातें | 1. तक्वा अखियार करो और अल्लाह से डरते रहो | २. ज़िन्दगी में अनुशासन पे ध्यान दो और अपने कामो को आसान बनाओ | ३. लोगो के बीच मतभेदों को दूर करो | ४. लोगों की समस्याओं का समाधान किया करो | ५. पड़ोसियों से अच्छे ताल्लुक रखो और यतीमो की मदद किया करो | ६.क़ुरआन पर अमल करने को न भूलना और इसे अपनी ज़िन्दगी में उतारो |आयतुल्लाह नासिर मकारिम शीराज़ी कहते हैं कि एसा न हो कि हम केवल पवित्र क़ुरआन के पढ़ने तक सीमित रह जाएं और उसके मूल संदेश अर्थात उसकी बातें अपनाने को भूल जाएं ७. लोगों को बुरे काम करने से रोको और अच्छ काम करने का आदेश दो

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