मौलाना इंतज़ार मेहदी साहब मरहूम

जब किसी का इंतेक़ाल हो जाता है तो उसकी कामयाबी की एक दलील यह भी हुआ करती है की हर शख्स उस से खुद का रिश्ता जोड़ने लगता है | दूरी रिश्तेदार जो...

जब किसी का इंतेक़ाल हो जाता है तो उसकी कामयाबी की एक दलील यह भी हुआ करती है की हर शख्स उस से खुद का रिश्ता जोड़ने लगता है | दूरी रिश्तेदार जो उसकी ज़िन्दगी में कभी पूछने नहीं जाते थे वो भी दादा और परदादा , चाचा और मामू बताने लगते हैं कोई दोस्त तो कोई क़रीबी बताने लगता है |  यह उस शख्स की नेकियाँ हुआ करती हैं जिनकी वजह से हर शख्स  उनसे खुद को जोड़ना चाहता है |

 https://www.facebook.com/jaunpurazaadari/मौलाना इंतज़ार मेहदी साहब मरहूम  ३२ साल की उम्र में मुजफ्फरपुर बिहार गए और ४० साल वहाँ दीनी खिदमात अंजाम देते रहे | अक्सर जनाब ऐ अली असगर के दसवें में जंगीपुर आया करते थे | जो लोग उनके क़रीबी है वो जानते हैं की अभी ७ शाबान को  ही  उनकी बेटी की शादी में शिरकत का मौक़ा मिला और उनसे मुलाक़ात हुयी  उस वक़्त भी उनकी तबियत बहुत खराब थी लोग दुआएं कर रहे थे  | आलिम बा अमल  थे इसलिए बहुत  दौलत जमा नहीं कर सके लेकिन उन्हें रिश्ता बेहतरीन मिल गया   और अल्लाह का शुक्र है की जाते जाते इस ज़िम्मेदारी को निभा के गए | 
आज पूरे हिन्दुस्तान में जगह जगह उनके इसाल -ए-सवाब की मजलिसें हो रही हैं और प्रतापगढ़ में भी  एक मजलिस हुयी जबकि यहां उनका कोई भी सगा रिश्तेदार मौजूद नहीं | यह दलील है की मरहूम आलिम बा अमल थे | 

Saiyed Intesar Mehdi ibne Saiyed Mohammad Mehdi ibne Saiyed Mohammad Yousof Tab-e-Sarah

Related

death news 5798967159540502444

Post a Comment

emo-but-icon

Follow Us

Hot in week

Recent

Comments

इधर उधर से

Comment

Recent

Featured Post

नजफ़ ऐ हिन्द जोगीपुरा का मुआज्ज़ा , जियारत और क्या मिलता है वहाँ जानिए |

हर सच्चे मुसलमान की ख्वाहिश हुआ करती है की उसे अल्लाह के नेक बन्दों की जियारत करने का मौक़ा  मिले और इसी को अल्लाह से  मुहब्बत कहा जाता है ...

Admin

item