क्या ज़हूर ऐ इमाम का वक़्त तय है ?
जिस वक़्त ज़हूर की बातें होती हैं तो इंसान के दिल में एक बहुत सुन्दर एहसास पैदा होता है जैसे वह नहर के किनारे किसी हरे भरे बाग में बैठा ह...

अतः हम इस हिस्से में जो कुछ उल्लेख करेंगे वह हज़रत इमाम महदी (अ. स.) के ज़हूर के ज़माने की वह घटनाएं हैं जिनका वर्णन अनेकों किताबों में हुआ हैं और जिन में इमाम (अ. स.) के ज़हूर के ज़माने की घटनाओं की एक झक मिलती है।
उस मौक़े पर सुफ़यानी जो कई देशों पर क़ब्ज़ा किये हुए होगा जैसे सीरिया, उर्दन, फ़िलिस्तीन, वह इमाम से मुक़ाबले के लिए एक फ़ौज तैयार करेगा और उसे इमाम के मुक़ाबले के लिए मक्के की ओर भेजेगा लोकिन सुफ़यानी की यह फ़ौज जैसे ही बैदा नामक जगह पर पहुँचेगी, ज़मीन में धँस कर भस्म हो जायेगी।
नफ्से ज़किया की शहादत के कुछ ही समय के बाद इमाम महदी (अ. स.) एक जवान मर्द की सूरत में मस्जिदुल हराम में ज़हूर फरमायेंगे। उनकी हालत यह होगी कि वह पैग़म्बरे इस्लाम (स.) की क़मीज़ पहने होंगे और रसूले ख़ुदा (स.) का अलम अपने हाथ में लिए होंगे। वह खाना ए काबा की दीवार से टेक लगाये हुए रुक्न व मक़ाम के बीच ज़हूर का तराना गुनगुनायेंगे। वह ख़ुदा वन्दे आलम की हम्द व सना और मुहम्मद व आले मुहम्मद पर दुरुद व सलाम के बाद यह फरमायेंगे :
ऐ लोगों ! हम ख़ुदा वन्दे आलम से मदद माँगते हैं और जो इंसान दुनिया के किसी भी कोने से हमारी आवाज़ पर आगे बढ़ने के लिए तैयार हो उसे मदद के लिए पुकारते हैं।
इसके बाद वह अपनी और अपने खानदान की पहचान कराते हुए फरमायेंगे :
इमाम (अ. स.) की बात पूरी होने के बाद आसमान वाले ज़मीन वालों से आगे बढ़ जायेंगे और गिरोह - गिरोह आकर इमाम (अ. स.) की बैअत करेंगे। लेकिन उन सब से पहले वही लाने वाला महान फरिशता जिब्रईल इमाम की खिदमत में हाज़िर हो जायेगा और उसके बाद ज़मीन के 313 सितारे विभिन्न स्थानों से वही की ज़मीन अर्थात मक्का ए मोज़्ज़मा में इकठ्ठा हो कर उस इमामत के सूरज के चारों तरफ़ घेरा बना लेंगे और उनसे वफ़ादारी का वादा करेंगे। इमाम के पास आने वाले लोगों का सिलसिला जारी रहेगा यहाँ तक कि दस हज़ार सिपाहियों पर आधारित एक फ़ौज इमाम (अ. स.) के पास पहुँच जायेगी और पैग़म्बर (स.) के इस महान बेटे की बैअत करेगी।
इमाम (अ. स.) अपने मददगारों के इस महान लशकर के साथ क़ियाम का परचम लहराते हुए बहुत तेज़ी से मक्का और आस पास के इलाक़ों पर क़ाबिज हो जायेंगे ताकि उनके बीच न्याय, समानता व मुहब्बत स्थापित करें और उन शहरों के सिरफिरे लोगों का सर नीचा करें। उस के बाद वह इराक़ का रुख करेंगे और वहाँ के शहर कूफ़े को अपनी विश्वव्यापी हुकूमत का केन्द्र बना कर वहाँ से उस महान इन्क़ेलाब की देख रेख करेंगे। वह दुनिया वालों को इस्लाम और कुरआन के क़ानूनों के अनुसार काम करने और ज़ुल्म व सितम खत्म करने का निमन्त्रण देंगे और अपने नूरानी सिपाहियों को दुनिया के विभिन्न इलाक़ों की तरफ़ रवाना करेंगे।
इमाम (अ. स.) एक एक कर के दुनिया के बड़े बड़े मोर्चों को जीत लेंगे क्योंकि मोमिनों और वफ़ादार साथियों के अलावा फ़रिश्ते भी उनकी मदद करेंगे और वह पैग़म्बरे इस्लाम (स.) की तरह अपने लशकर के रोब व दबदबे से फायदा उठायेंगे। ख़ुदा वन्दे आलम इमाम (अ. स.) और उनके लशकर का इतना डर दुशमनों के दिलों में डाल देगा कि बड़ी से बड़ी ताक़त भी उनका मुकाबेला करने की हिम्मत नहीं करेगी।
हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ. स.) ने फरमाया :
क़ाइमे आले मुहम्मद (अ. स.) की मदद दुशमनों के दिल में दहशत व रोब पैदा करके की जायेगी।
उल्लेखनीय है कि इमाम (अ. स.) के लशकर के ज़रिये फतह होने वाले इलाकों में से बैतुल मुकद्दस भी है। इस के बाद एक बहुत ही मुबारक घटना घटित होगी, जिस से इमाम महदी (अ. स.) का इंकेलाब एक अहम मोड़ पर पहुँच जायेगा और इससे उनके मोर्चे को और दृढ़ता मिलेगी। वह महान व मुबारक घटना हज़रत ईसा (अ. स.) का आसमान से ज़मीन पर तशरीफ़ लाना है। कुरआने करीम की आयतों के अनुसार हज़रत ईसा मसीह ज़िन्दा हैं और आसमान में रहते हैं, लेकिन उस मौक़े पर वह ज़मीन पर तशरीफ़ लायेंगे और हज़रत इमाम महदी (अ. स.) के पीछे नमाज़ पढेंगे। वह अपने इस काम से सबके सामने अपने ऊपर शियों के बारहवें इमाम हज़रत इमाम महदी (अ. स.) की फज़ीलत, श्रेष्ठता, वरीयता और उनकी पैरवी का एलान करेंगे।
इस काम के द्वारा हज़रत ईसा (अ. स.) ईसाइयों को (जिन की संख्या उस समय दुनिया में बहुत होगी) अल्लाह की इस आख़िरी हुज्जत और शियों के इमाम पर ईमान लाने का संदेश देंगे। ऐसा लगता है कि ख़ुदा वन्दे आलम ने हज़रत ईसा (अ. स.) को इसी दिन के लिए ज़िन्दा रखा हुआ है ताकि हक़ चाहने वाले लोगों के लिए हिदायत का चिराग़ बन जायें।
वैसे हज़रत इमाम महदी (अ. स.) के द्वारा मोजज़ों (चमत्कारों) को दिखाना, इंसानों की रहनुमाई व मार्गदर्शन के लिए फिक्र को खोलने वाले उच्च विचारों को प्रकट करना आदि इस महान इन्क़ेलाब की योजनाओं में सम्मिलित है ताकि लोगों की हिदायत का रास्ता हमवार हो जाये।
उसके बाद इमाम (अ. स.) यहूदियों की मुकद्दस व पवित्र किताब तौरैत की असली (जिनमें परिवर्न नही हुआ है) तख्तियों को ज़मीन से निकालेंगे। यहूदी उन तख्तियों में उनकी इमामत की निशानियों को देखने, उनके महान इंकेलाब को समझने, इमाम (अ. स.) के सच्चे पैग़ाम को सुन्ने और उनके मोजज़ों को देखने के बाद गिरोह - गिरोह कर के उनके साथ मिल जायेंगे। इस तरह ख़ुदा वन्दे आलम का वादा पूरा हो जायेगा और इस्लाम पूरी दुनिया को अपने परचम के नीचे जमा कर लेगा।
प्रियः पाठकों ! इमाम ज़माना (अ. स.) के ज़हूर की इस मनज़र कशी के आधार पर यह कहा जा सकता है कि सिर्फ ज़ालिम व हठधर्म लोग ही हक़ व हकीकत के सामने नहीं झुकेंगे, लेकिन यह लोग भी मोमिनों और इंकेलाब के मुकाबले की हिम्मत नहीं जुटा पायेंगे और हज़रत महदी की न्याय व समानता फैलाने वाली तलवार से अपने शर्मनाक कामों की सज़ा भुगतेंगे इसके बाद ज़मीन और उस पर रहने वाले हमेशा के लिए बुराईयों व उपद्रवों से सुरक्षित हो जायेंगे।
इसके बाद ज़मीन और उस पर रहने वाले हमेशा के लिए बुराईयों व उपद्रवों से सुरक्षित हो जायेंगे।
ReplyDeleteyh jankar achcha laga.
jazakallah.