आमाल ऐ आशूरा

ज़ियारत ऐ आशूरा ,ज़ियारत ऐ वरिसा और दुआ ऐ अलक़मा

अमल में ख़ुलूस ज़रूरी है |

इंसान अपनी ज़िंदगी में अल्लाह से क़रीब होने के लिए बहुत से अमल अंजाम देता है लेकिन कभी कभी महसूस करता है कि इतने सारे आमाल के बावजूद...

माह ऐ मुहर्रम में अज़ादारी बिना नीयत की पाकीज़गी के नहीं हो सकती|

 इस्लाम की निगाह में वह अमल सही है जो अल्लाह उसके रसूल स.अ. और इमामों के हुक्म के मुताबिक़ हों क्योंकि यही सेराते मुस्तक़ीम है, और जि...

पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद (स.) की सौ हदीसें |

पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद  (स.)   1.       आदमी जैसे जैसे बूढ़ा होता जाता है उसकी हिरस व तमन्नाएं जवान होती जाती हैं। 2.      ...

ग़दीर पर रसूले इस्लाम (स.अ.) का ऐलान |

ग़दीर पर रसूले इस्लाम (स.अ.) का ऐलान  |   हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम को भी ग़दीर का उतना ही ख़्याल थ...

ऐ अल्लाह! तू उसको दोस्त रखना जो अली को दोस्त रखे | ग़दीर

ईद ऐ ग़दीर खुशियों का दिन है और मुसलमानों के आपसी भाईचारे और एकता का प्रतिक है | लेकिन यह दुआ हमेशा करते रहे की अल्लाह हम सबको इब्ल...

सच्चे दोस्त की पहचान मौला अली ने बताया |

किसी ने मुसलमानो के खलीफा हज़रत अली (अ.स ) से पूछा की कोई शख्स उसका सच्चा दोस्त है या नहीं यह कैसे पता किया जाय तो हज़रत अली ने फ़रमा...

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नजफ़ ऐ हिन्द जोगीपुरा का मुआज्ज़ा , जियारत और क्या मिलता है वहाँ जानिए |

हर सच्चे मुसलमान की ख्वाहिश हुआ करती है की उसे अल्लाह के नेक बन्दों की जियारत करने का मौक़ा  मिले और इसी को अल्लाह से  मुहब्बत कहा जाता है ...

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