अगर आप शांती अपने जीवन मी चाहते है तो पढे सूरए माएदा की 16वीं आयत|
श्वर इस (प्रकाश और स्पष्ट करने वाली किताब) के माध्यम से, उसकी प्रसन्नता प्राप्त करने का प्रयास करने वालों को शांतिपूर्ण एवं सुरक्षित मा...
श्वर इस (प्रकाश और स्पष्ट करने वाली किताब) के माध्यम से, उसकी प्रसन्नता प्राप्त करने का प्रयास करने वालों को शांतिपूर्ण एवं सुरक्षित मा...
क़ुरआन से जुड़े कुछ सवाल और जवाब । मक्की सूरे किन सूरों को कहा जाता है ? जवाब- जो सूरे हिजरत से पहले नाज़िल हुए उनको मक्की कहा जाता...
दादी माँ ने ही उसे क़ुरआन पढ़ना सिखाया था और सूर-ए-हम्द, इन्ना आतैना और क़ुल हुवल्लाह याद कराने के बाद आयतलकुर्सी भी याद कराई थी। यह सो...
अफवाह फैलाने वालो और झूट बोलने वालो के प्रति समाज की जिम्मेदारी । जब तुम उस (झूठ बात) को एक दूसरे से (सुन कर) अपनी ज़बानों पर ल...
ऐ ईमानवालो! अल्लाह और उसके रसूल से आगे न बढो और अल्लाह का डर रखो। निश्चय ही अल्लाह सुनता, जानता है (1) ऐ लोगो, जो ईमान लाए हो! तुम अ...
अल्लाह विश्वास रखने वालों का स्वामी है और उन्हें अंधकारों से प्रकाश की ओर ले जाता है और इन्कार करने वालों के स्वामी झूठे ख़ुदा होते हैं...
क़ुरान मे बहुत से आयत है जिनका इस्तेमाल परेशानी मे भी इन्सान किया जैसे आयताल कुर्सी पढने से इन्सान मह्फुज रहता है इत्यादी | मुझे किसी ...
सूरए निसा; आयत 34 पुरुष, महिलाओं के अभिभावक हैं इस दृष्टि से कि ईश्वर ने कुछ को कुछ अन्य पर वरीयता दी है और इस दृष्टि से कि पुरुष अ...
लोग कहते हैं की कुरान किसी गैर मुसलमान के हाथ में नहीं जानी चाहिए लेकिन मैंने सुना है कि हमारे आखिरी रसुल मुह्म्मद सल्लाहॊं अलैह वस्ल्ल...
सवाल- आयते ततहीर किस सूरे में है जवाब – सूर -ए- अहज़ाब आयत न. 33 सवाल- आयते विलायत किस सूरे में है ? जवाब- सूर -ए- मायदा आयत...
और हम ईश्वर पर भरोसा क्यों न करें जबकि उसी ने (कल्याण के) मार्गों की ओर हमारा मार्गदर्शन किया है और तुम्हारी ओर से दी जाने वाली यातनाओं पर ...
और ईश्वर की उपासना करो और किसी को उसका शरीक न ठहराओ और माता-पिता के साथ अच्छा व्यवहार करो और इसी प्रकार निकट परिजनों, अनाथों, मुहताजों...
माएदा की 7वीं आयत और अपने ऊपर ईश्वर की अनुकंपा तथा प्रतिज्ञा को याद करो जिसका वह तुमसे वादा ले चुका है, जब तुमने कहा था कि हमने सुना और...
हर सच्चे मुसलमान की ख्वाहिश हुआ करती है की उसे अल्लाह के नेक बन्दों की जियारत करने का मौक़ा मिले और इसी को अल्लाह से मुहब्बत कहा जाता है ...