क्या केवल दुआओं से कोरोना जैसी महामारी से लड़ना इस्लाम का पैगाम है ?
कोरोना वायरस ने आज पूरी दुनिया को ख़ौफ़ज़दा कर दिया है और हर इंसान एक ऐसे दुश्मन से लड़ने को तैयार दिखता है जो नज़र तो नहीं आता बल्कि इ...
कोरोना वायरस ने आज पूरी दुनिया को ख़ौफ़ज़दा कर दिया है और हर इंसान एक ऐसे दुश्मन से लड़ने को तैयार दिखता है जो नज़र तो नहीं आता बल्कि इ...
मुवर्रेख़ीन का कहना है कि अबरहातुल अशरम का ईसाई बादशाह था। उसमें मज़हबी ताअस्सुब बेहद था। ख़ाना ए काबा की अज़मत व हुरमत देख कर आतिशे ...
कल आज और कल | बचपन में जब भाई बहन एक दुसरे के साथ ना इंसाफ़ी करते थे तो माँ बाप ना इंसाफ़ी करने वाले बच्चे को डांट के जिसका हक़...
एक मरतबा पैगम्बर मोहम्मद(स.) अपने सहाबियों के साथ मस्जिद में बैठे हुए थे कि वहाँ एक अनजान शख्स आया और उन्हें अपशब्द कहने लगा। पैगम्ब...
इंसान क़त्ल किए गए बच्चों के शवों को देखने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है। लेकिन आज ख़ुद मां बाप एक बड़ी संख्या में अपने ही बच्चों क...
लोगों के जीवन की सुरक्षा को विशेष महत्व प्राप्त है। इस्लाम किसी भी स्थिति में हत्या को वैध नहीं ठहराता। इस्लाम हत्या को बहुत ही ...
इंसान का सामना हमेशा, न्याय और अन्याय, समानता और पक्षपात, आज़ादी और अत्याचार, युद्ध और शांति जैसे विरोधाभासी विषयों से होता है। इस सं...
और महिलाओं का मेहर उन्हें उपहार स्वरूप और इच्छा से दो यदि उन्होंने अपनी इच्छा से उसमें से कोई चीज़ तुम्हें दे दी तो उसे तुम आनंद से ख...
तीन तलाक का मज़ाक इसलिए बन रहा है क्यूँ की आज इस्लाम धर्म के कानून को कुरान की नज़र से बहुत कम लोग जानते हैं | कुरान में उन महिलाओं क...
नमाज़, रोज़ा, हज, और जेहाद की भांति अम्र बिलमारूफ को भी धार्मिक आदेशों में समझा जाता है और उनके मध्य इसे विशेष स्थान प्राप्त है। हज़...
रिवायत मे बयान किया गया है कि बच्चों को नमाज़ सिखाना माँ बाप की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। माता पिता को चाहिए कि जब बच्चा तीन साल का...
इस्लाम एक समाजिक दीन है और उसके मानने वाले केवल अल्लाह तआला की इच्छा के लिए और उसकी राह में क़दम उठाते हुए एक दूसरे से सम्बंध और सम्प...
अबू बसीर कहते हैं कि मै इमाम सादिक़ (अ) के पास पहुँचा और कहा कि आपका एक शिया है जो बहुत परहेज़गार और मुत्तक़ी है उसका नाम उमर है। ...
हर सच्चे मुसलमान की ख्वाहिश हुआ करती है की उसे अल्लाह के नेक बन्दों की जियारत करने का मौक़ा मिले और इसी को अल्लाह से मुहब्बत कहा जाता है ...