नजफ़ ऐ हिन्द जोगीपुरा का मुआज्ज़ा , जियारत और क्या मिलता है वहाँ जानिए |
हर सच्चे मुसलमान की ख्वाहिश हुआ करती है की उसे अल्लाह के नेक बन्दों की जियारत करने का मौक़ा मिले और इसी को अल्लाह से मुहब्बत कहा जाता है ...
हर सच्चे मुसलमान की ख्वाहिश हुआ करती है की उसे अल्लाह के नेक बन्दों की जियारत करने का मौक़ा मिले और इसी को अल्लाह से मुहब्बत कहा जाता है ...
सभी लोगों को ईद की मुबारकबाद | मशहूर शायर कामिल जौनपुरी ने क्या खूब कहा है | मैखान-ए-इंसानियत की सरखुशी, ईद इंसानी मोहब्बत का छलकता ज...
रिवायत मे बयान किया गया है कि बच्चों को नमाज़ सिखाना माँ बाप की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। माता पिता को चाहिए कि जब बच्चा तीन साल का...
इस्लाम एक समाजिक दीन है और उसके मानने वाले केवल अल्लाह तआला की इच्छा के लिए और उसकी राह में क़दम उठाते हुए एक दूसरे से सम्बंध और सम्प...
अबू बसीर कहते हैं कि मै इमाम सादिक़ (अ) के पास पहुँचा और कहा कि आपका एक शिया है जो बहुत परहेज़गार और मुत्तक़ी है उसका नाम उमर है। ...
वह स्थान जो हजरत इमाम महदी अलैहिस्सलाम के नाम से पहचाना जाता है उनमें से एक मस्जिदे जमकरान भी है। यह मस्जिद चूँकि जमकरान नामक गाँ...
ऐ ईमान लाने वालों! अपने बहुत से ख़्यालों से बचो, इस लिये कि (दिमाग़ में आने वाले) कुछ ख़्याल गुनाह होते हैं और कभी भी दूसरों की टोह म...
जहन्नम की आग से बचना है तो ग़रीबों को खिलाओ खाना इस्लाम ने विशेषकर ग़रीबों व दरिद्रों को खाना खिलाने पर बहुत ध्यान व बल दिया है। इ...
(अ) कुछ लोग नमाज़ को खुशुअ (तवज्जुह और ख़ुलूस) के साथ पढ़ते हैं। जैसे कि क़ुरआने करीम ने सूरा ए मोमेनून की दूसरी आयत मे कहा है “क...
मदीना शहर में प्रतिदिन ग़ेहूं और रोटी की कीमत बढ़ती जा रही थी। हर व्यक्ति परेशान और मंहगाई से त्रस्त था| जिनके पास साल भर का ग़ल्...
हज़रत इमाम जाफ़रे सादिक अलैहिस्सलाम पवित्र शहर मक्का और मदीना के बीच के रास्ते में थे। आप का मशहूर दास मसादफ़ भी आप के साथ था यह लोग...
हज़रत रसूले ख़ुदा (स.) के पास एक व्यक्ति अन्सार (वह लोग जिन्होंने रसूल के मदीने में आने के बाद आपकी सहायता की थी और वह लोग मदीने के र...
मुफ़ज़्ज़ल बिन क़ैस का जीवन बहुत कठिनाइयों में व्यतीत हो रहा था ग़रीबी, बदहाली, और प्रतिदिन होने वाले ख़र्चों से वह बहुत परेशान था।...
हर सच्चे मुसलमान की ख्वाहिश हुआ करती है की उसे अल्लाह के नेक बन्दों की जियारत करने का मौक़ा मिले और इसी को अल्लाह से मुहब्बत कहा जाता है ...