बारह रमज़ान का दिन भाईचारे का का वो दिन जब अली को अपना भाई बनाया था |

हिजरत के पहले वर्ष बारह रमज़ान के दिन पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम ने, मक्के से मदीने पलायन करने...



हिजरत के पहले वर्ष बारह रमज़ान के दिन पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम ने, मक्के से मदीने पलायन करने वालों, जिन्हें मुहाजिर कहा जाता था और मदीने में मुसलमानों की मदद करने वालों के बीच, जिन्हें अंसार कहा जाता था, भाईचारे का रिश्ता स्थापित किया था। जब उन्होंने मुहाजिरों और अंसार के बीच भाईचारे  का रिश्ता स्थापित किया तो हज़रत अली अलैहिस्सलाम को अपना भाई बनाया।

रमज़ान का पवित्र महीना, पूरे इस्लामी जगत के मुसलमानों के बीच एकता व एकजुटता का अहम प्रतीक है। हर देश और हर मूल के मुसलमान, बड़ी ख़ुशी और सम्मान से इस महीने का स्वागत करते हैं। रमज़ान के महीने में रोज़े रखना, हज के संस्कारों की तरह ही विभिन्न मतों के मुसलमानों के बीच एक संयुक्त और एकता जनक संस्कार है और सभी मुसलमान, इस्लामी समुदाय के नाम से एक ध्रुव पर एकत्रित होते हैं।


गुनाहगार  मनुष्य अपने अत्यधिक गुनाहों  के कारण, अपने दिल में शैतान के उकसावों के आने का आभास नहीं कर पाता जबकि ईश्वर से डरने वाला मनुष्य इसके ठीक विपरीत होता है। वह छोटा सा भी गुनाह  होने पर तुरंत समझ जाता है कि उसने गुनाह  किया है और फिर उसके प्रायश्चित की सोच में पड़ जाता है।


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