माँ बाप और अह्लेबय्त


अमीरूल मोमेनीन अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया: बाप का अधिकार है कि सन्तान उसकी हर बात माने सिवाये उन बातों के जिनके अंजाम देने से अल्लाह तआला की अवज्ञा होती हो।

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इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया: माँ बाप से नेकी करना वाजिब है चाहे वह दोनों मुशरिक ही क्यों न हों लेकिन अगर उनके आज्ञापालन से अल्लाह की अवज्ञा होती हो तो उनके हुक्म का पालन नहीं करना चाहिए क्योंकि अल्लाह की अवज्ञा करके बंदों का आज्ञापालन नहीं किया जा सकता है।

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इमाम रेज़ा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया: बेशक अल्लाह तआला ने माँ बाप का शुक्रिया अदा करने का आदेश दिया है और जिसने अपने माँ बाप का आभार व्यक्त किया उसने अल्लाह का शुक्र अदा किया है।

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इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम से पूछा गया: अच्छे काम कौन से हैं? आपने कहा समय पर नमाज़ अदा करना, माँ बाप के साथ नेकी करना और खुदा की राह में जिहाद करना, अच्छे कामों में से हैं।

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रसूले ख़ुदा सल्लल्लाहो अलैहे व आलिही वसल्लम ने फ़रमाया: मां बाप की ओर प्यार से देखना इबादत है।

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रसूले ख़ुदा सल्लल्लाहो अलैहे व आलिही वसल्लम ने फ़रमाया: जो सन्तान मेहरबानी के साथ अपने माँ बाप की ओर देखेगी, हर निगाह के बदले उसे एक मक़बूल हज (ऐसा हज जिसे अल्लाह तआला ने क़बूल कर लिया हो) इनाम में दिया जाएगा। पूछा गया: ऐ रसूले ख़ुदा (स) अगर इंसान प्रतिदिन सौ बार अपने माँ बाप को प्यार भरी निगाहों से देखे क्या तब भी उसे हर निगाह के बदले एक मक़बूल हज इनाम में मिलेगा? रसूले ख़ुदा (स.अ) ने कहा: हाँ, अल्लाह सबसे बड़ा और से ज्यादा पाक है।

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