कुरान के बारे में हमारी गलतफहमियां और इसका पढना |
लोग कहते हैं की कुरान किसी गैर मुसलमान के हाथ में नहीं जानी चाहिए लेकिन मैंने सुना है कि हमारे आखिरी रसुल मुह्म्मद सल्लाहॊं अलैह वस्ल्ल...
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लोग कहते हैं की कुरान किसी गैर मुसलमान के हाथ में नहीं जानी चाहिए लेकिन मैंने सुना है कि हमारे आखिरी रसुल मुह्म्मद सल्लाहॊं अलैह वस्ल्लम ग़ैर-मुसलमान राजाओं को खत लिखवाते थे जिसमे कुरान की आयतें लिखाई जाती थीं अजायबघर मे जिसके अन्दर अल्लाह के रसुल सुरह अल इमरान सु. ३ : आ. ६४ लिखवातें हैं उस मे ज़िक्र है "कहों अहलेकिताब (ईसाई) से की आऒ उस बात की तरफ़ जो आप और हम मे समान है सबसे पहली बात है की अल्लाह सुब्नाह वतआला एक है, अल्लाह के साथ किसी को शरीक न करें, हम आप और हम में से अल्लाह के अलावा किसी को रब ना बनायें, अगर वो फिर भी न मानें तो आप शहादत दो की हम मुस्लिम है"।
हमारा फ़र्ज़ है की हम कुरआन को पढे, उसकों समझें, उस पर अमल करें और दुसरे लोगों तक कुरआन का पैगाम पहुचायें। अकसर कई मुस्लमान कहते है की कुरान मजीद को सिर्फ़ आलिम लोग ही समझ सकतें हैं, उन्हे ही पढना चाहिये, ये बहुत कठिन किताब है और इसको आलिम ही समझ सकते हैं। मैं आपको कुरआन मजीद की एक सुरह बताता हू जिसके अन्दर कम से कम चार बार दोहराते है, अल्लाह तआला फ़र्माते है सुरह कमर सु. ५४ : आ. १७, २२, ३२, ४०, में "हमनें कुरआन आपके लिये आसान बनाया ताकि आप इसें समझ सकें, आप इसे याद रख सकें, हमनें ये कुरआन मजीद आपकें समझनें के लिये आसान बनाया, आप में से कौन शख्स इसकी बात नही मानेगा"। जब अल्लाह तआला ने कुरआन मे कई आयतों मे फ़र्माया की हमनें कुरआन आपके लिये आसान बनाया तो आप किसकी बात मानेंगे अल्लाह की या उस मुस्लमान की जो कहतें हैं की सिर्फ़ उल्मा के लिये है। और अल्लाह तआला कई आयतों मे फ़र्मातें है सुरह बकरह सु. २ : आ. २४२ में "फ़िर आप नही समझोगें"। यानी अल्लाह तआला चाहतें है की आप कुरआन मजीद को समझ के पढॊं लेकिन अल्लाह तआला इसके साथ मे ये भी फ़र्माते है सुरह नहल सु. १६ : आ. ४३ और सुरह अम्बिया सु. २१ : आ. ७ में "अगर आप कुछ चीज़ को नही समझते है तो उनसे पूछिये जिसके पास इल्म है"।
अल्लाह तआला फ़र्माते है सुरह अल इमरान सु. ३ : आ. १०३ में "आप अल्लाह की रस्सी को मज़बुती से पकडीये और आपस मे फ़िरके मत बनाइये"। अल्लाह की रस्सी क्या है कुरआन मजीद ,मुह्म्मद सल्लाहो अलैह वसल्लम की और अह्लेबय्त की कही हुयी सही हदीस|