दुनिया भर के सभी सत्यप्रेमी मानवता के पुजारियों ने कर्बला में इमाम हुसैन के बेजोड़ बलिदान को सराहा और श्रद्धांजलि अर्पित की है| कभी र...
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दुनिया भर के सभी सत्यप्रेमी मानवता के पुजारियों ने कर्बला में इमाम हुसैन के बेजोड़ बलिदान को सराहा और श्रद्धांजलि अर्पित की है| कभी राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को कहते पाया की "मैंने हुसैन से सीखा है अत्याचार पर विजय कैसे प्राप्त होती है तो कभी डॉ राजेंद्र प्रसाद को कहते पाया "शहादत ए इमाम हुसैन (अस) पूरे विश्व के लिए इंसानियत का पैग़ाम है|कभी डॉ . राधा कृष्णन को कहते पाया " इमाम हुसैन की शहादत १३०० साल पुरानी है लेकिन हुसैन आज भी इंसानों के दिलों पे राज करते हैं| रबिन्द्रनाथ टगोर ने कहासत्य की जंग अहिंसा से कैसी जीती जा सकती है इसकी मिसाल इमाम हुसैन हैं |इमाम ए हुसैन (ए .स .) की ज़ात न किसी धर्म से बंधी है और न किसी फिरके से | यह तो बस इंसानियत का पैगाम देती है और ज़ुल्म के खिलाफ आवाज़ को बलंद करती है |
कर्बला के बाद से आज तक यह शहीद ए इंसानियत पूरी दुनिया में सराहा जा रहा है और हमेशा जिंदा रहेगा | हिन्दू भाइयों की इमाम हुसैन (ए .स .) से अकीदत कोई नई बात नहीं है. |कितनी जगहों पर ग़ैर मुस्लिम भी इसको अपने रंग में मनाते हैं. मुहर्रम का चाँद देखते ही , ना सिर्फ मुसलमानों के दिल और आँखें ग़म ऐ हुसैन से छलक उठती हैं , बल्कि हिन्दुओं की बड़ी बड़ी शख्सियतें भी बारगाहे हुस्सैनी में ख़ेराज ए अक़ीदत पेश किये बग़ैर नहीं रहतीं. हमारे हिन्दू भाई भी हेर साल यह मुहर्रम, ग़म ए हुसैन बड़ी अकीदत से मानते हैं.