हर मुसलमान सुबह सूरज निकलने के पहले से सूरज ढलने तक कुछ ना खाता है और ना ही कुछ पीता है. क्यों?

रमजान के महीने मैं हर मुसलमान सुबह सूरज निकलने के पहले से सूरज ढलने तक कुछ ना खाता है और ना ही कुछ पीता है. क्यों? जवाब तो यह है कि अल्लाह...

SAM_1546रमजान के महीने मैं हर मुसलमान सुबह सूरज निकलने के पहले से सूरज ढलने तक कुछ ना खाता है और ना ही कुछ पीता है. क्यों?
जवाब तो यह है कि अल्लाह  ने  हुक्म दिया है
हे विश्वासियों! रोज़ा तुमहारे लिए निर्धारित है, क्योंकि यह उन लोगों के लिए भी था जो तुम से पहले थे ताकि तुम बुराई से दूर रह सको!. रोज़े (उपवास) के दिन की एक निश्चित संख्या है ... (पवित्र कुरान अध्याय 2, छंद 18

यह माहे रमज़ान है और इसमें हर मुसलमान पे रोज़ा फ़र्ज़ है. लेकिन यह ख्याल रहे कि रोज़ा सिर्फ भूखा और प्यासा रहने का नाम नहीं बल्कि खुद को गुनाहों से दूर रखने का नाम भी है.

रमजान मैं रोज़े की भूख और प्यास मुसलमान  के दिल मैं  ग़रीबों के लिए हमदर्दी पैदा करती है और ज़िंदगी मैं वो जब भी किसी भूखे या प्यासे को देखता है तो उसे अपनी रोज़े कि भूख और प्यास याद आ जाती है. और इसके साथ यह भी याद आता है कि किस शिद्दत के साथ वो शाम होने और इफ्त्तारी मिलने का इंतज़ार किया करता था.
यकीन जानिए अगर आप के रोज़े आप के दिल मैं ग़रीब और मिस्कीनो के लिए हमदर्दी पैदा कर गए हैं तो आप का रोज़ा कुबूल हुआ.

इफ्तार मैं रोजेदारों का रोज़ा खुलवाना सवाब है लेकिन यह भी ख्याल रहे कि रोज़ा रात भर खाने का नाम नहीं  रात भर इबादत करने का नाम है.   कल आप सभी को बताऊंगा कि रोज़े मैं मुसलमान को और क्या क्या नहीं करना चाहिए.

Post a Comment

emo-but-icon

Follow Us

Hot in week

Recent

Comments

इधर उधर से

Comment

Recent

Featured Post

नजफ़ ऐ हिन्द जोगीपुरा का मुआज्ज़ा , जियारत और क्या मिलता है वहाँ जानिए |

हर सच्चे मुसलमान की ख्वाहिश हुआ करती है की उसे अल्लाह के नेक बन्दों की जियारत करने का मौक़ा  मिले और इसी को अल्लाह से  मुहब्बत कहा जाता है ...

Admin

item