विलादत ए फातिमा ज़हरा (स.ए )मुबारक
पैग़म्बरे ए इस्लाम हज़रत मुहम्मद (स.ए.व) (स0) की पूत्री हज़रत फातिमा ज़हरा (स0) की विलादत बीस जमादिउस सानी को हुई. हज़रत फातिमा ज़हरा (स...
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पैग़म्बरे ए इस्लाम हज़रत मुहम्मद (स.ए.व) (स0) की पूत्री हज़रत फातिमा ज़हरा (स0) की विलादत
बीस जमादिउस सानी को हुई. हज़रत फातिमा ज़हरा (स0) की माँ का नाम बानोये ईस्लाम हज़रत ख़दीजा (उम्मुल मोमेंनीन ) है।
हम मुसलमानों मैं यह दस्तूर है की हम अपने इस्लाम के रहबरों, की तारिख ए विलादत पे उनको याद कर के खुश होते हैं, महफ़िल करते हैं, जिसमें उनकी क़ुर्बनिओन का ज़िक्र करते हैं और उनके उपदेशो को एक दूसरे तक पहुंचाते हैं.
इसका फैदा यह होता है की हमारी आने वाली हर नस्ल को अपने रहबरों के पैगामात , उपदेश हमेशा याद रहते हैं जो हमारी ज़िंदगी मैं आईना बन के काम करते हैं.
हम्ज्रत मुहम्मद (स.ए.व) की बेटी जनाब ए फातिमा(स.ए) पे उनके पिता की वफात के बाद इतने ज़ुल्म हुई जिनको सुन कर ताज्जुब होता है. ताज्जुब इस लिए की कहां थे वो लोग जो खुद को हज़रत मुहम्मद (स.ए.व) के फैलाए इस्लाम को मान ने वाले थे?
कैसे थे वो लोग जिन्होंने ने अपने ही पैग़म्बर ए इस्लाम की बेटी पे ज़ुल्म होते देखा और चुप रहे?
ज़ुल्मों की अगेर गिनती की जाए तो बेहिसाब हैं.
हज़रत मुहम्मद (स.ए.व) की वफात के फ़ौरन बाद मसलन फातिमा ज़हरा (स.ए) का घर जला दिया गया, उनपे इतना ज़ुल्म किया की उनका बेटा मान के पेट मैं ही दम तोड़ गया.
फातिमा ज़हरा (स.अव) जिनका पर्दा मशहूर है, जिनसे एहतेराम से हज़रत मुहम्मद (स.ए.व भी बात करते थे, जिसके लिए हज़रत मुहम्मद स.ए.व० ने फ़रमाया था जिसने फातिमा को नाराज़ किया उसने मुझे नाराज़ किया. ऐसी बेटी को दरबार मैं बुलवाया गया. हज़रत फातिमा (स.ए) की मिलकियत बाघ ए फदक उनसे छीन लिया गया.
ज़ुल्म की इन्तहा यही थी की पिता हज़रत मुहम्मद (स.अव) की वफात के केवल ७५ दिन बाद , १८ साल की उमर मैं ३ जमादिउस सानी मगंल के दिन उन्होंने शहादत पाई.उनकी वसीयत के मुताबिक उनका गुस्ल व कफन उनके पति हज़रत अली (ए.स) ने किया और उनको मदीना शहर में ख़ूफिया स्थान पर और मख़फियाने तौर पर मिट्टी दि गई.
यह सवाल आज तक सभी मुसलमानों की दिल को तकलीफ देता है की ,कौन थे जिन्होंने रसूल ए खुदा (स.ए) की बेटी फातिमा ज़हरा (स) पे इतना ज़ुल्म किया?
अगेर कोई मुसलमान बादशाह था उस वक़्त तो उसने इस ज़ुल्म की सजा ,जालिमों को क्यों नहीं दी?
हज़रत फ़ातिमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा अहादीस (प्रवचन)
हज़रत फातिमा ज़हरा (स) जीवनी
बीस जमादिउस सानी को हुई. हज़रत फातिमा ज़हरा (स0) की माँ का नाम बानोये ईस्लाम हज़रत ख़दीजा (उम्मुल मोमेंनीन ) है।
हम मुसलमानों मैं यह दस्तूर है की हम अपने इस्लाम के रहबरों, की तारिख ए विलादत पे उनको याद कर के खुश होते हैं, महफ़िल करते हैं, जिसमें उनकी क़ुर्बनिओन का ज़िक्र करते हैं और उनके उपदेशो को एक दूसरे तक पहुंचाते हैं.
इसका फैदा यह होता है की हमारी आने वाली हर नस्ल को अपने रहबरों के पैगामात , उपदेश हमेशा याद रहते हैं जो हमारी ज़िंदगी मैं आईना बन के काम करते हैं.
हम्ज्रत मुहम्मद (स.ए.व) की बेटी जनाब ए फातिमा(स.ए) पे उनके पिता की वफात के बाद इतने ज़ुल्म हुई जिनको सुन कर ताज्जुब होता है. ताज्जुब इस लिए की कहां थे वो लोग जो खुद को हज़रत मुहम्मद (स.ए.व) के फैलाए इस्लाम को मान ने वाले थे?
कैसे थे वो लोग जिन्होंने ने अपने ही पैग़म्बर ए इस्लाम की बेटी पे ज़ुल्म होते देखा और चुप रहे?
ज़ुल्मों की अगेर गिनती की जाए तो बेहिसाब हैं.
हज़रत मुहम्मद (स.ए.व) की वफात के फ़ौरन बाद मसलन फातिमा ज़हरा (स.ए) का घर जला दिया गया, उनपे इतना ज़ुल्म किया की उनका बेटा मान के पेट मैं ही दम तोड़ गया.
फातिमा ज़हरा (स.अव) जिनका पर्दा मशहूर है, जिनसे एहतेराम से हज़रत मुहम्मद (स.ए.व भी बात करते थे, जिसके लिए हज़रत मुहम्मद स.ए.व० ने फ़रमाया था जिसने फातिमा को नाराज़ किया उसने मुझे नाराज़ किया. ऐसी बेटी को दरबार मैं बुलवाया गया. हज़रत फातिमा (स.ए) की मिलकियत बाघ ए फदक उनसे छीन लिया गया.
ज़ुल्म की इन्तहा यही थी की पिता हज़रत मुहम्मद (स.अव) की वफात के केवल ७५ दिन बाद , १८ साल की उमर मैं ३ जमादिउस सानी मगंल के दिन उन्होंने शहादत पाई.उनकी वसीयत के मुताबिक उनका गुस्ल व कफन उनके पति हज़रत अली (ए.स) ने किया और उनको मदीना शहर में ख़ूफिया स्थान पर और मख़फियाने तौर पर मिट्टी दि गई.
यह सवाल आज तक सभी मुसलमानों की दिल को तकलीफ देता है की ,कौन थे जिन्होंने रसूल ए खुदा (स.ए) की बेटी फातिमा ज़हरा (स) पे इतना ज़ुल्म किया?
अगेर कोई मुसलमान बादशाह था उस वक़्त तो उसने इस ज़ुल्म की सजा ,जालिमों को क्यों नहीं दी?
हज़रत फ़ातिमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा अहादीस (प्रवचन)
हज़रत फातिमा ज़हरा (स) जीवनी